Sunday, October 29, 2017

How to balance your horoscope

जन्मांग के प्रत्येक भाव से सप्तम भाव उसका प्रतिबिंब या यूँ कहे फल है ,, भाव विशेष को संतुलित करिये उससे सप्तम भाव के फल स्वयं संतुलित हो जाएंगे !! अरोमासूत्र
1) लग्न एवं सप्तम,,
जीवन साथी से अपने जैसे होने या बनने की अपेक्षा की जाती है, स्वयं को ठीक रखिये जीवन साथी से ठीक फल मिलेंगे !!
2) द्वितीय एवं अष्टम,,
वाणी एवं धन के अपने अपने जोखिम भी है ,, जैसी वाणी होगी अथवा जैसा धन कमाएंगे वैसे ही जोखिम भी होंगे!!
3) तृतीय एवं नवम,,
जितने प्रयास करंगे अर्थात कार्यशीलता में पराक्रम दिखाएँगे वैसे ही भाग्यवश फल भी प्राप्त होंगे!!
4) चतुर्थ एवं दशम,,
सुख की प्राप्ति के लिए कर्मक्षेत्र में सक्रियता आवश्यक है!!
5) पंचम एवं एकादश,,
संतान को दिए गए संस्कारों एवं स्वयं की बुद्धि अनुसार ही लाभ प्राप्त होंगे!!
6) षष्ठ एवं द्वादश,,
रोग ,ऋण एवं शत्रु पर दृढ संघर्ष द्वारा जीत हासिल करके ही किसी भी प्रकार के व्यय को संतुलित किया जा सकता है!!
7) सप्तम एवं लग्न,,
जीवनसाथी एवं साझीदार से ईमानदारी एवं उन्हें सुदृढ़ रखकर ही जातक सफलता के परचम लहरा सकता है!!
8) अष्टम एवं द्वितीय,,
जीवन में जोखिम के गूढ़ रहस्यों को भलीभांति समझकर ही उचित अथवा अनुचित धन प्राप्त होगा!!
9) नवम एवं तृतीय,,
भाग्य के सहारे बैठे रहने से  या सिर्फ भगवान के आगे घंटी बजाते रहने से प्रयास अर्थात पराक्रम में कमी होगी और भाग्य को सुदृढ़ करने के लिए पराक्रम करते ही जीवन का भाग्य बदल जाएगा!!
10) दशम एवं चतुर्थ,,
कर्मक्षेत्र अनुसार ही सुख प्राप्त होगा और मानसिक स्थिति भी वैसी होगी !!
11) एकादश एवं पंचम,,
जैसे मित्र अथवा सहयोगी होंगे वैसी ही बुद्धि हो जायेगी, संतान में संस्कार उचित एवं अनुचित लाभ ही बीजारोपित करंगे !!
12) द्वादश एवं षष्ठ,,
जीवन में अनावश्यक व्यय से बच कर ही रोग, ऋण एवं संघर्ष को संतुलित किया जा सकता है!!

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