Monday, February 02, 2015

राजस्थान में कैसे कैसे मंदिर

राजस्थान में कैसे कैसे मंदिर

१. सोरसन (बारां) का ब्रह्माणी माता का मंदिर-
यहाँ देवी की पीठ का श्रृंगार
होता है. पीठ
की ही पूजा होती है !
२. चाकसू(जयपुर) का शीतला माता का मंदिर- खंडित
मूर्ती की पूजा समान्यतया नहीं होती है,
पर शीतला माता(चेचक की देवी)
की पूजा खंडित रूप में होती है !
३. बीकानेर का हेराम्ब का मंदिर- आपने गणेश
जी को चूहों की सवारी करते
देखा होगा पर यहाँ वे सिंह की सवारी करते
हैं !
४. रणथम्भोर( सवाई माधोपुर) का गणेश मंदिर- शिवजी के
तीसरे नेत्र से तो हम परिचित हैं लेकिन यहाँ गणेश
जी त्रिनेत्र हैं !
उनकी भी तीसरी आँख
है.
५. चांदखेडी (झालावाड) का जैन मंदिर- मंदिर
भी कभी नकली होता है ?
यहाँ प्रथम तल पर महावीर भगवान्
का नकली मंदिर है, जिसमें दुश्मनों के डर से प्राण
प्रतिष्ठा नहीं की गई.
असली मंदिर जमीन के भीतर
है !
६. रणकपुर का जैन मंदिर- इस मंदिर के 1444
खम्भों की कारीगरी शानदार है.
कमाल यह है कि किसी भी खम्भे पर
किया गया काम अन्य खम्भे के काम से नहीं मिलता ! और
दूसरा कमाल यह कि इतने खम्भों के जंगल में भी आप
कहीं से भी ऋषभ देव जी के
दर्शन कर सकते हैं, कोई खम्भा बीच में
नहीं आएगा.
७. गोगामेडी( हनुमानगढ़)
का गोगाजी का मंदिर- यहाँ के पुजारी मुस्लिम
हैं ! कमाल है कि उनको अभी तक काफिर
नहीं कहा गया और न
ही फतवा जारी हुआ है !
८. नाथद्वारा का श्रीनाथ जी का मंदिर - चौंक
जायेंगे. श्रीनाथ जी का श्रृंगार जो विख्यात है,
कौन करता है ? एक मुस्लिम परिवार करता है !
पीढ़ियों से. कहते हैं कि इनके पूर्वज
श्रीनाथजी की मूर्ति के साथ
ही आये थे.
९. मेड़ता का चारभुजा मंदिर - सदियों से सुबह का पहला भोग यहाँ के
एक मोची परिवार का लगता है ! ऊंच नीच
क्या होती है ?
१०. डूंगरपुर का देव सोमनाथ मंदिर-
बाहरवीं शताब्दी के इस अद्भुत मंदिर में
पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट या गारे का उपयोग
नहीं किया गया है ! केवल पत्थर को पत्थर में
फंसाया गया है.
११. बिलाडा(जोधपुर)
की आईजी की दरगाह -
नहीं जनाब, यह दरगाह नहीं है ! यह
आईजी का मंदिर है, जो बाबा रामदेव
की शिष्या थीं और
सीरवियों की कुलदेवी हैं.
'अभिनव राजस्थान' की 'अभिनव् संस्कृति' में इस
सबको सहेजना है. दुनिया को दिखाना है.

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