पारद शिवलिंग…………………….
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पारद (पारा) को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है तथा हर मनोकामना पूरी होती है। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए पूजन विधिक्त की जानी चाहिए।
# पूजन की विधि ……………………
सर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।
स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।
अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।
सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।
थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।
प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:
दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:
तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:
चौथी बार ॐशिवाय नम:
हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।
फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।
फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।
चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।
मीठे का भोग लगा दे।
भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।
फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।
जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
# लाभ ……………………..
इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं…………………
* पारद शिवलिंग सभी प्रकार के तन्त्र प्रयोगों को काट देता है.
* पारद शिवलिंग जहां स्थापित होता है उसके १०० फ़ीट के दायरे में उसका प्रभाव होता है. इस प्रभाव से परिवार में शांति और स्वास्थ्य प्राप्ति होती है.
* पारद शिवलिंग शुद्ध होना चाहिये, हस्त निर्मित होना चाहिये, स्वर्ण ग्रास से युक्त होना चाहिये, उसपर फ़णयुक्त नाग होना चाहिये. कम से कम सवा किलो का होना चाहिये.
* य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है. ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है.
* पारद शिवलिंग की स्थापना करके साधना करने पर स्वतः साधक की रक्षा होती रहती है.विशेष रूप से महाविद्या और काली साधकों को इसे अवश्य स्थापित करना चाहिये.
* पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।
* पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
* यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।
* अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।
* पारद शिवलिंग की साधना से विवाह बाधा भी दूर होती है।
# शुद्ध पारद शिवलिंग की पहचान*******
पारद शिवलिंग पारा अर्थात Mercury का बना होता है. आज कल बाजार में पारद शिवलिंग बने बनाए मिलते है. ये सर्वथा अशुद्ध एवं किन्ही विशेष परिस्थितियों में हानि कारक भी होते है. जैसे सुहागा एवं ज़स्ता के संयोग से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. इसी प्रकार एल्युमिनियम से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. किन्तु उपरोक्त दोनों ही शिवलिंग घर में या पूजा के लिए नहीं रखने चाहिए. इससे रक्त रोग, श्वास रोग एवं मानसिक विकृति उत्पन्न होती है. अतः ऐसे शिवलिंग या इन धातुओ से बने कोई भी देव प्रतिमा घर या पूजा के स्थान में नहीं रखने चाहिए.
पारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्या धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम. अर्थात अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम कज्जल का बीस गुना पारद एवं मनिफेन (Magnesium) के चालीस गुना पारद, लिंग निर्माण के लिए परम आवश्यक है. इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए.ऐसे पारद शिवलिंग को आप केवल बिना पूजा के अपने घर में रख सकते है. यदि आप चाहें तो इसकी पूजा कर सकते है. किन्तु यदि अभिषेक करना हो तो उसके बाद इस शिवलिंग को पूजा के बाद घर से बाहर कम से कम चालीस हाथ की दूरी पर होना चाहिए. अन्यथा इसके विकिरण का दुष्प्रभाव समूचे घर परिवार को प्रभावित करेगा. किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता है. ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ उद्भात्त विद्वान होते है. यह साधारण जन के लिए संभव नहीं है. अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करे.
पारद शिवलिंग यदि कोई अति विश्वसनीय व्यक्ति बनाने वाला हो तो उससे आदेश या विनय करके बनवाया जा सकता है. वैसे भी इसका परीक्षण किया जा सकता है. यदि इस शिवलिंग को अमोनियम हाईड्राक्साइड से स्पर्श कराया जाय तो कोई दुर्गन्ध नहीं निकलेगा. किन्तु पोटैसियम क्लोरेट से स्पर्श कराया जाय तो बदबू निकलने लगेगी. यही नहीं पारद शिव लिंग को कभी भी सोने से स्पर्श न करायें नहीं तो यह सोने को खा जाता है.
यद्यपि पारद शिवलिंग एवं इसके साथ रखे जाने वाले दक्षिणा मूर्ती शंख की बहुत ही उच्च महत्ता बतायी गयी है. विविध धर्म ग्रंथो में इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गयी है. किन्तु यदि इसके निर्माण की विश्वसनीयता पर तनिक भी संदेह हो तो इसका परित्याग ही सर्वथा अच्छा है. अतः सामान्य रूप से बाज़ार में मिलाने वाले पारद शिवलिंग के नाम पर कोई शिवलिंग तब तक न खरीदें जब तक आप उसकी शुद्धता पर आश्वस्त न हो जाएँ.
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Saturday, July 30, 2016
पारद शिवलिंग Ways to worship PARAD SHIVA
Sunday, July 17, 2016
Worship Rahu
Rahu is the north node of the Moon and a powerful shadow planet. You can worship it by doing any of the mantras listed here.
Appeasement of Rahu brings mental peace, material prosperity and marriage.
1. Follow any one mantra that appeals to you.
2. Do atleast 108 times chanting on rudraksha mala or sphatik mala or rose quartz mala with 108 beads in it.
3. Try to follow same time every day.
4. Lighting a blue candle while chanting helps to focus and enhances the productivity of the prayer.
By Acharya Rrachita Gupta
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Jai rahve namah!
Saturday, July 09, 2016
पुदीना का तेल के चमत्कारी लाभ
पुदीना का तेल के चमत्कारी लाभ
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Acharya Rrachita Gupta
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पुदीने के तेल मेंमेंथोन मेंथॉल और मेंथाइल एस्टर् होते हैं, जिनकी वजह से इसके गुणों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। इस तेल का प्रयोग कई उत्पादों, जैसे साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट,चाय, आइसक्रीम, च्युइंग गम आदि के निर्माण में भी किया जाता है। पर दूसरी तरफ इसके हमारे शरीर पर होने वाले उपकार भी कई हैं। काफी पुराने समय से पुदीना अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है और तभी से इसका प्रयोग काफी बड़ी तादाद में किया जाता रहा है। इसे विश्व की सबसे पुरानी औषधि भी कहा जाता है।आज स्वास्थ्य और जीवन ग्रुप मे पुदीने तेल के लाभ पर विशेष जानकारी ।
पुदीने के तेल के शरीर पर उपचार
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हाज़मे की समस्या से मुक्ति
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यह तेल हाज़मे की समस्या के लिए काफी बेहतरीन औषधि है। अगर आपने भोजन थोड़ा ज़्यादा कर लिया है, तो एक गिलास में इस तेल की कुछ बूँदें डालें और इसे पी लें। यह गैस की समस्या को प्रभावी रूप से दूर करने में सक्षम है। इसके बिलकुल उलट गुण के अंतर्गत यह आपके भूख न लगने की समस्या का भी बेहतरीन इलाज है। यह दस्त, मतली, पेट में अन्य प्रकार की गड़बड़ी आदि समस्याओं को ठीक करने में सक्षम है। एक शोध के अनुसार ब्लेंडेड पेपरमिंट तथा कैरवै के तेल से सीने में जलन की समस्या से भी निजात मिलती है।
दांतों की देखभाल
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पुदीने के तेल में एंटी सेप्टिक(Antiseptic) गुण होते हैं और यह साँसों की बदबू को दूर करता है। यह आपके दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बनाता है तथा कीटाणुओं से लड़ता है। पुदीने के तेल को कई टूथपेस्ट्स में भी मिश्रित किया जाता है। यह दांतों के दर्द को दूर करने तथा इन्हेलेशन की समस्या का भी प्रभावी उपचार है।
नाखूनों की देखभाल
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पुदीने के तेल में एंटी फंगल गुण भी होते हैं, जो आपके नाखूनों को फंगल इन्फेक्शन से बचाते हैं। ये नाखूनों को काफी स्वस्थ रखते हैं तथा इन्हें टूटने से भी बचाते हैं।
सिर का दर्द दूर करता हैं
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सिर में दर्द की समस्या को दूर करने के लिए पुदीने का तेल काफी प्रभावी उपचार होता है। इस तेल को लें तथा इसमें पानी मिलाकर इसे डाइल्यूट कर लें। इसे अपने सिर पर लगाएं तथा अच्छे से मालिश करें। यह न सिर्फ दर्द को दूर करता है, बल्कि सिर के उस भाग को सुकून भी प्रदान करता है।
तनाव।
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ज़्यादातर एसेंशियल ऑयल्स जिनमें से एक पुदीने का तेल भी है, आपको डिप्रेशन, चिंता और थकावट से मुक्ति दिलाते हैं। यह तेल आपमें ऊर्जा का संचार करता है और आपके मन में चल रही बेचैनी की भावना को भी दूर करता है। इस तेल से आपका मस्तिष्क काफी अच्छे से चलता है, क्योंकि यह आपके दिमाग में चल रही दुश्चिंताओं को हटाता है और आपको ध्यान लगाने में सहायता करता है।
सांस की समस्या
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मेंथॉल से आपकी साँसों की तकलीफ काफी प्रभावी रूप से दूर होती है। यह एक उपयोगी एक्सपेक्टोरेन्ट है, जिसकी वजह से यह आपको तुरंत राहत प्रदान करता है। जिन सामान्य समस्याओं से आप इसकी मदद से निपट सकते हैं, उनमें मुख्य है नाक का बंद होना, साइनसाइटिस, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, ठण्ड और कफ। अतः अब से जब भी आपको ठण्ड लगे, तो थोड़ा सा पुदीने का तेल अपनी छाती पर लगा लें। इससे आपकी स्थिति सुधरेगी और आपके शरीर को काफी सुकून मिलेगा।
दर्द से छुटकारा
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इस तेल के प्रयोग से आप दर्द से भी छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शोध से यह साबित हुआ है कि पुदीने का तेल दर्द से प्रभावित भागों को ठीक करने में सक्षम है। इसमें शरीर को ठंडक प्रदान करने के भी गुण होते हैं, जिससे बुखार कम करने में काफी मदद मिलती है। कई लोग इसका रेफ्रिजरेन्ट के रूप में भी प्रयोग करते हैं। यह चोट और घाव की स्थिति में प्रभावित भाग को राहत पहुंचाता है। आप इस तेल का प्रयोग सूजन, दर्द तथा जलन दूर करने के लिए भी कर सकते हैं।
प्रतिरोधी तंत्र
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आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा खुद को कई बीमारियों से प्रभावित होने से बचाने के लिए पुदीने के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, वे कई तरह की बीमारियों से पीड़ित रहते हैं। इसमें एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करने वाली कई बीमारियों का पुख्ता तरीके से इलाज करते हैं।
रक्त का संचार
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आप पुदीने के तेल की मदद से रक्त संचार भी बढ़ा सकते हैं। कई शोधों से साबित हुआ है कि एसेंशियल वेपर हमारी ओल्फैक्टरी नसों को छूते हैं और इससे हमारे पल्स रेटमें तेज़ी आती है। इसकी मदद से मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को भी कई समस्याओं से बचाया जा सकता
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Monday, July 04, 2016
AMAVASYA OR NEW MOON RITUALS FOR PROSPERITY AND HAPPINESS
🍛सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गुगल, ७. गुड़, ८. देशी कपूर, गौ चंदन या कण्डा।
🔥 विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
🔥 आहुति मंत्र 🔥
🌷 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
🌷 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
🌷 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
🌷 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
🌷 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभयो नमः
💰 जिनको पैसो की कमजोरी है तो तुलसी माता को १०८ प्रदिक्षणा करें | और श्री हरि.... श्री हरि.... श्री हरि.... श्री हरि.... ‘श्री’ माना सम्पदा, ‘हरि’ माना भगवान की दया पाना | तो गरीबी चली जाए।
🌷 *सोमवती अमावस्या* 🌷
🌷 *सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण*
🙏🏻 सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है।
🙏🏻 इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है।
🙏🏻 इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
🙏🏻 इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।
💥 *विशेष* कल 04 जुलाई 2016 सोमवार को (सूर्योदय से शाम 04:32 तक) सोमवती अमावस्या है।
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