Monday, February 23, 2015

दीर्घायु और स्वस्थ रखे ताम्र पात्र का जल

दीर्घायु और स्वस्थ रखे ताम्र पात्र का जल
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ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीने का अक्सर निर्देश
भारतीय बुजुर्ग और वैद्य देते हैं |इसके अनेकानेक
वैज्ञानिक कारण हैं |सभी धातुओं में से ताम्बे के पात्र में
रखा जल सर्वाधिक लाभप्रद होता है |

आयुर्वेद केअनुसार, तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी में आपके शरीर में
तीन दोषों (वात, कफ और पित्त) को संतुलित करने
की क्षमता होती है और यह ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज
करके करता है। तांबे के बर्तन में जमा पानी 'तमारा जल'
के रूप में भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में कम 8
घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है।

जब
पानी तांबे के बर्तन में संग्रहित किया जाता है तब
तांबा धीरे से पानी में मिलकर उसे सकारात्मक गुण प्रदान
करता है। इस पानी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है
कि यह कभी भी बासी (बेस्वाद) नहीं होता और इसे
लंबी अवधि तक संग्रहित किया जा सकता है।
तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में
(बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव)
जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से
बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है।

तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्त और
पीलिया को रोकने में मददगार माना जाता है। जिन देशों में
अच्छी स्वच्छता प्रणाली नहीं है उन देशों में
तांबा पानी की सफाई के लिए सबसे सस्ते समाधान के रूप
में पेश आता है।

थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड
की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में
तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस
होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य
करने की जरूरत का पता लगाने वाले सबसे महत्वपूर्ण
मिनरलों में से एक है। थायराइड विशेषज्ञों के अनुसार,
कि तांबे के बर्तन में रखें पानी को पीने से शरीर में
थायरेक्सीन हार्मोन नियंत्रित होकर इस
ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे में
मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाले और विरोधी ऐंठन गुण
होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी मस्तिष्क के काम
को तेजी और अधिक कुशलता के साथ करने में मदद करते
है।

गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्या आजकल कम उम्र के
लोगों में भी होने लगी है। यदि आप भी इस समस्या से
परेशान हैं, तो रोज तांबे के पात्र का पानी पीये। तांबे में
एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण दर्द से राहत और
दर्द की वजह से जोड़ों में सूजन का कारण बने -
गठिया और रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से फायदेमंद
होते है। त्वचा पर सबसे अधिक प्रभाव
आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर
आप अपनी त्वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं तो रातभर तांबे
के बर्तन में रखें पानी को सुबह पी लें। ऐसा इसलिए
क्योंकि तांबा हमारे शरीर के मेलेनिन के उत्पादन का मुख्य
घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्पादन में
मदद करता है जो त्वचा की सबसे ऊपरी परतों की भरपाई
करने में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे
को अपनाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार लगने लगेगी।
पेट जैसी समस्याएं जैसे एसिडिटी, कब्ज, गैस आदि के
लिए तांबे के बर्तन का पानी अमृत के सामान होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त
पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में
कम से कम 8 घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट की सूजन
में राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।
अगर आप त्वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं
तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत एंटी-
ऑक्सीडेंट और सेल गठन के गुणों से समृद्ध होने के कारण
कॉपर मुक्त कणों से लड़ता है---जो झुर्रियों आने के मुख्य
कारणों में से एक है---और नए और स्वस्थ
त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। ज्यादातर
भारतीय महिलाओं में खून
की कमी या एनीमिया की समस्या पाई जाती है। कॉपर के
बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह
शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक
होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक
तत्वों को अवशोषित कर रक्त वाहिकाओं में इसके प्रवाह
को नियंत्रित करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे
पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं।
गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण कम
उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है।
अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के
साथ ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए
फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पानी को पीने से शरीर
की अतिरिक्त वसा कम हो जाती है। तांबे के बर्तन में
रखा पानी वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने
में मदद करता है। इस प्रकार से इस पानी में एंटी-
ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान
करते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे कैंसर
की शुरुआत को रोकने में मदद करता है, कैसे इसकी सटीक
कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों के
अनुसार, तांबे में कैंसर विरोधी प्रभाव मौजूद होते है।
तांबा अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटीवायरल और
एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसमें
कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए
कि तांबा घावों को जल्दी भरने के लिए एक शानदार
तरीका है। दिल के रोग और तनाव से ग्रसित
लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ
भी ये परेशानी है तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से
आपको लाभ हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए
पानी को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन
रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल
की बीमारियां दूर रहती हैं|

Thursday, February 19, 2015

क्यों सात बार राई वारने से उतर जाती हैं नजर ?

क्यों सात बार राई वारने से उतर जाती हैं नजर ?

मित्रों अक्सर हम सुनते है कि जब किसी को नजर लग जाती है तो उसे कहते हैं कि अपनी मुट्ठी में राई लेकर अपने सिर से सात बार वार कर फेंक दो। क्या राई को सात बार वार देने क्या नजर उतर सकती हैं ? आइये इसके पीछे क्या विज्ञान काम करता हैं समझने का प्रयास करते हैं।

मित्रों अक्सर आप देखते होंगे की राई को जब किसी प्लास्टिक बेग से निकालते हैं तो राई उस प्लाष्टिक बेग से चिपक जाती हैं। वो इसलिये कि राई में चुम्बकीय गुण विद्धमान होता हैं। और राई को बेग से निकालते वक्त घर्षण से उसका चुम्बकीय गुण सक्रीय हो जाता हैं। वैसे आम तौर पर हर पदार्थ का अपना-अपना चुम्बकीय क्षेत्र होता हैं, पर राई अपने का घनत्वीय रूप के साथ-साथ अपने आप में एक विशेष चुम्बकीय गुण लिये होती हैं, जिसके चलते ये जल्दी ही किसी के औरा के संपर्क में आकर उसके नकारत्मक फिल्ड को अवशोषित कर लेती हैं।

जब इसे सात बार हमारे शरीर पर से वारा जाता हैं तब इसका संपर्क हमारे शरीर के आभामंडल से होता हैं, जिसे हम सुरक्षा चक्र भी कहते हैं। राई के लगातार हमारे आभामंडल से टकराने से इसका चुम्बकीय गुण सक्रीय होकर हमारे शरीर के सातों चक्रों में फैली नकारात्मकता को सोख लेता हैं। सात बार वारने का मतलब हमारे सूक्ष्म शरीर के सातों चक्रों का शुद्धिकरण करना होता हैं। सात बार राई को वारने के बाद उसे घर से कुछ दूर नाली में फेंक दिया जाता हैं।

वैसे आभामंडल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इसके लिए साधारण तौर पर इतना बता देता हूँ कि आभामंडल हमारे शरीर का सुरक्षा चक्र होता हैं। जब ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अच्छी-बुरी दशा चलती हैं तो उसका सबसे पहला प्रभाव हमारे आभामंडल पर ही पड़ता हैं। पर अगर हम किसी अच्छी संगत, अच्छे विचार या किसी ज्ञानी गुरु के संपर्क में हो या किसी भगवान् में हमारी आस्था बहुत मजबूत हो तो ग्रहों के बुरे प्रभाव की रश्मियाँ हमारे उस आभामंडल यानी सुरक्षा चक्र का भेदन करने में कामयाब नही होती। इसलिए जो लोग निरंतर सत्संग करते हैं, सकारात्मक विचारों के संपर्क में रहते हैं ऐसे पुण्यशाली लोगों पर ग्रहों, टोने-टोटके और नजर इत्यादि का बुरा प्रभाव आसानी से नही पड़ता। और न ही कोई नकारात्मकता उनके आभामंडल को भेद पाती हैं।

मित्रों ऐसे कई सारे टोटके इत्यादि है जिन्हें हम अंधविश्वास का नाम देकर नजर अंदाज कर देते हैं। क्योंकि हमें इनके गर्भ में छूपे सिद्धांत का पता नहीं होता। अंधविश्वास क्या हैं ?
"अंधे का विश्वास"
और एक अंधे का विश्वास इतना मजबूत होता हैं कि वो कभी भी ठोकर नही खाता। ठोकर तो हम आँख वाले खा जाते हैं पर वे कभी नही खाते। क्या आपने कभी सुना हैं कि कोई अँधा व्यक्ति एक्सिडेंट से मर गया ???

राधे-राधे...

(वैसे मित्रों कलयुग के चलते सदियों से चलती परम्पराओं के साथ आजकल कुछ बेतुके अंधविश्वासों का जन्म भी हो गया हैं जिनसे हमें सावधान रहने की जरुरत हैं। बिना वैज्ञानिक अर्थ के किसी बात को मान लेना मात्र मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं)

Monday, February 16, 2015

Shivratri-Celebrating the Peace Within

��Significance Of Mahashivratri ��

Celebrating the Peace Within is Shivaratri

Mahashivaratri is the day when the Shiva Tattva touches the earth. The consciousness, the aura or the ethereal world which is always ten inches above the material ground, touches the earth element on the day of Mahashivarathri. It is the wedding of the material with the spiritual.
Shiva is the soul (of everything) – there is no difference between the soul and Shiva.
Your true nature is Shiva, and Shiva is peace, infinity, beauty and the non-dual one.
Ratri means 'to take refuge'.
Shivaratri is taking refuge in Shiva (the soul). It is celebrating the Shiva Tatva within oneself.
According to the Shiva Purana
(ancient texts praising the divine through divine stories)
when Shiva was asked by Parvati, what pleases him the most, He is supposed to have replied, 'The 14th night of the new moon, of the month of Phalgun is my favorite day. It is known as Shivaratri'.
Ratri (which translates as night) is that which gives you rest, or peace.

Three types of peace are needed:
1. Material peace
2. Mental peace and
3. Peace in the soul
If there is disturbance around you, you cannot be peaceful. You need peace in your environment. You also need peace in the body and mind, and you need peace in the soul.

You may have peace in the atmosphere, you may enjoy good health, and you may have peace in the mind to a certain extent, but if the soul is restless, nothing can bring you comfort. So that peace is also essential.
Only in the presence of all the three types of peace can there be complete peace. Without one, the other is incomplete.

Shivaratri is taking refuge in the divine consciousness which brings peace and solace to all layers of consciousness. So resting in the Shiva Tattva is Shivaratri.
When the mind, intellect and ego rests in the divine that is the real rest, and the deepest rest (the complete peace). This is why it is very useful for people to meditate on this day.

A Day For Meditation

Shivaratri is like a new year for a saadhak (seeker). It is considered as an auspicious day for spiritual growth and material attainment.
The night on this day, when the constellations are in some particular position, is very auspicious for meditation. And so it is very useful for people to keep awake and meditate on Shivaratri.
In ancient times, people used to say, 'Okay, if you cannot do it every day, at least one day in a year, on Shivratri day, do meditation and keep awake'.
Wake the Divinity that is deep within you - this is the message. The Divinity is within you, let it wake up!

A Day For Fasting

Many devotees, in order to bring a balance between the three Gunas, i.e., Rajas, Tamas, and Sattva observe fast on the day of Shivaratri.
Not eating too much, eating light and doing more meditation on this day helps in fulfillment of desires - this is the ancient belief. Like a sponge in water (a rasagulla in syrup), when mind and body is resting in the Shiva Tattva, small wishes get fulfilled effortlessly.
That doesn’t mean it doesn’t happen on any other day. At any time when your heart is open and your mind is calm, prayers do get answered.
People usually eat very light, some fruits or something and fast. I don’t recommend you fast without anything. Take some fruits or some light easily digestible food and spend the day awake and meditate at night. You don’t need to do meditation all night, just for some time.

A Day For Chanting Sacred Hymns

Shivratri day is celebrated with Rudrabhishekam (singing of the ancient Vedic mantras which is accompanied with a ceremony of washing the Shiva Linga with milk, curd, honey, rose water, etc).
Do you know, when we chant the Vedic mantras, these mantras bring a big change in the environment. It brings purity in the environment, positivity is increased, bad karmas are destroyed and nature celebrates. That is why this Rudrabhishekam has been performed for thousands of years for the well-being of all.
'Let there be timely rain, let there be a good harvest. Let there be health, wealth, wisdom, and liberation', with these prayers it is performed.
To strengthen one’s connection to the Divine, Rudrabhishekam is performed.

Your best substance to please lord Shiva

17th Feb - Shivratri. The abhishekd  for shivratri is most beneficial when done as per your moon sign.

ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत राशि अनुसार कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो जल्दी ही महादेव की कृपा प्राप्त हो सकती है।

मेष- इस राशि के लोग महाशिवरात्रि के दिन जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।

वृषभ- इस राशि के लोगों के लिए दही से भगवान शिव का अभिषेक शुभ फल देता है।

मिथुन- इस राशि का लोग गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक l

कर्क- इस राशि के शिवभक्त अपनी राशि के अनुसार शक्कर मिला हुआ दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।

सिंह- सिंह राशि के लोग लाल चंदन के जल से शिव जी का अभिषेक करें

कन्या- इस राशि के लोगों को विजया(भांग) मिश्रित जल से भगवान शिव का अभिषेक

तुला- इस राशि के लोग भगवान शिव का गाय के घी में इत्र मिलाकर अभिषेक करें।

वृश्चिक- शहद मिश्रित जल से भगवान शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के लोगों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है।

धनु- इस राशि के लोगों को दूध में केसर मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

मकर- आप अपनी राशि के अनुसार तिल्ली के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करें

कुंभ- इस राशि के व्यक्तियों को महाशिवरात्रि के दिन नारियल के पानी या सरसों के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

मीन- इस राशि के लोग महाशिवरात्रि के दिन पानी में केसर मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।

सुखी , स्वस्थ और समान्नित जीवन

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Thursday, February 12, 2015

Vastu Basics for your HAPPY HOME by www.Astrorrachita.in

Each direction carries much importance and following Vastu principles and remedies and décor ideas as per the attributes of the direction will surely bless you with peace, harmony and prosperity in your life.
Practical guidance for designing a premises that can bring you peace and freedom of thought:


·        The central part of the premises should preferably be open to the sky(if possible). It should otherwise be treated as an atrium/lounge that is free of furniture and uncluttered.

·        The North direction should be open and airy and contain some water body since the aquatic element is predominant. If a large water body is not possible. Keep a large glass bowl filled with water and fresh leaves of tulsi floating in it . Changing the water everyday is best. This provides creative stimulation and also any kind of communication barriers between members will improve.

·        Study your horoscope if you are cognizant with the elements of astrology or get it professionally read. The 12th house is the hub of bondages and limitations in your life. This also pertains to the mental realm and if possessing benefic planets and planetary aspects can lead to great mental liberation and ability to evolve spiritually even while fulfilling the responsibilities of the mundane earthly affairs.

Remedies to make this house strong should be followed.

·        The NW direction signifies the mind. If this is unbalanced in the premises, it leads to mental unrest, depression, sadness, isolation from people surrounding you. Focus on keeping this direction low lying than rest of the structure. Install wind chimes and bagua mirror to keep the positive energies flowing in and out of this direction. It can lead to  creativity if handled well.

·        Sleep with head towards South for peaceful sleep where the mind is rested all through the night, free from anxiety and excess worries and this in turn gives stamina to freely translate visions to action.

·        Study with your desk/table against the western wall. This improves concentration, makes retention faster and more permanent and you absorb more in shorter time. This leaves you free to pursue other activities of your will.


·        South should be used for storage of all such stuff that is not needed on a regular basis. Keep this side relatively darker with heavy blinds or construct walls to keep out natural sunshine. Hang pictures of your ancestors on the southern wall.

·        When South side is in balance it gives exceptionally free mind and heart from all worries. It entails blessings of the departed souls as also the vigour and resilience to brave all setbacks of life. It infuses optimism and that is the cornerstone of all CREATION.


Sir Winston Churchhill said once – “ We shape our buildings. Therefore they shape us”. Its remarkable that The Western world by empirical observation(they do not have a tradition of Vastu nor its rich literature that India is blessed with) came to same conclusion that we propagate in the name of Vastu Shastra. This lends contemporary validation to this ancient science.*

Monday, February 02, 2015

ज्योतिषीय नज़र से जाने टैरो को - www.Astrorrachita.in

ज्योतिषीय नज़र से जाने टैरो को - 

मन का मुख्या कार्य हैं संकल्प और विकल्प. ज्योतिष में चन्द्र अर्थात मन  को सर्वोपरि माना गया हैं. व्यक्ति का जीवन चक्र अर्थात दशा चक्र उसी ग्रह के पराभव से आरम्भ होता हहिं जो उसके जन्मा नक्षत्र का अधिपति हैं. 

इसी गूढ़ और रहस्यमयी मन की गहराईयों  में झांककर , उसका आंकलन करना  एवं व्यक्ति को संकल्प बांधने या सही विकल्प को चुनने में मदद करती हैं टैरो कार्ड रीडिंग की विद्या। 
टैरो एक सशक्त माध्यम हैँ भविष्य कथन क. यह सबसे उपयोगी शस्त्र हैं उस समय के लिए जब हमारे पास प्रश्नकर्ता की जन्मा तिथि एवं समय नहीं होता या सही समय ज्ञात नहीं होत. अपनी निजी प्रैक्टिस में मैंने कई अद्भुत केस देखे  के जब टैरो के द्वारा बताये गए फल या कथन  उस समय की प्रश्न कुंडली से मेल कहते हैं जब प्रश्नकर्ता हमारे सम्मुख ही बैठा हैं. यह एक प्रकार से अंतर्मन की प्रश्न कुंडली हैं. 

टैरो कार्ड पर बने रंगीन और आकर्षक चित्र आध्यात्मिक  और रूहानी सन्देश लिए रहते हैं. किसी भी पराविद्या की तरह केवल टैरो कार्ड्स का अर्थ जानना  ही पर्याप्त ज्ञान नहीं हैं अपितु कार्ड्स के साथ तारतम्य स्थापित करना चाहिए।  हर  कार्ड पर चिंतन मनन  करना चाहिए जब तक हर कार्ड के विभिन्न सन्देश , टैरो कार्ड रीडर के स्वयं के अंतर्मन  में समा जाएं. 



78 कार्ड्स का समूह हैं  टैरो डेक.  समूहों में विभाजित हैं.
१. मेजर अरकाना  - 22 कार्ड्स 
२. माइनर  अरकाना - 56  कार्ड्स 

मेजर अरकाना  के कार्ड्स जीवन चक्र से जुड़ी घटनाएं, जीवन स्तम्भो, रहस्यों, उपलब्धियों और उतार  चढ़ाव  की ओर  संकेत करते हैं. 
माइनर अर्काना ज्योतिष के तत्वों की ओर  संकेत करते है. 
पृथिवी तत्त्व - पेंटाक्लेस  समूह 
जल तत्त्व - कप समूह 
अग्नि तत्त्व - वांड्स  समूह 
वायु तत्त्व - स्वोर्ड्स समूह 

माइनर अर्काना बहुत महत्त्वपूर्ण क्युकी यह हमारे इस जनम के क्रियमाण कर्म  की तरफ हमें गाइड करता हैं और बताता हैं की प्रारब्ध या पिछले जनम के कार्मिक समस्याओं के बावजूद हम इस जनम में कैसे अपना जीवन खुशियों और शांति से जी सकते हैं.

टैरो और ज्योतिष का सीधा सम्बन्ध 

ज्योतिष में जन्मा कुंडली का सर्वाधिक महत्व हैं. यह कुंडली मानव जीवन पर स्थायी प्रभाव डालती हैं. परन्तु फलित ज्योतिष के लिए उतना ही आवश्यक हैं इन् ग्रहों का गोचर स्थिति (ट्रांसिट ) का अध्ययन.  और यहाँ कमाल हैं टैरो का जो गोचर के ग्रहो की स्थिति बताता हैं.
मेजर अर्काना के सभी २२ कार्ड्स किसी न किसी गृह या राशि से सम्बन्ध रखते हैं. जैसे मैजिशियन     (magician ) कार्ड बुद्ध गृह से, व्हील ऑफ़ फार्च्यून (wheel of  fortune ) कार्ड बृहस्पति गृह से, टावर  कार्ड (tower ) मंगल गृह से हर्मिट  कार्ड (hermit) कन्या राशि से,  इत्यादि.
वास्तव  में  अलावा 0  के मेजर अर्काना के २१ कार्ड्स ज्योतिष की १२ राशियों और ९ ग्रहो(नवग्रहों ) का ही सम्मिलित रूप हैं और इनकी व्याख्या व सन्देश हमारी प्राचीन ज्योतिषीय व्याख्या पर सटीक बैठते हैं.

कुशल टैरो रीडर को ज्योतिष का ज्ञान रखने की चेष्टा करनी चाहिए. टैरो भी अगर गृह, राशि, तत्त्व एवं भावों की दृष्टि से प्रैक्टिस किया जाएं तो आश्चर्यजनक रूप से फलित होता हैं.

आप भी संपर्क कर सकते हैं विस्तृत और जानकारी से परिपूर्ण टैरो रीडिंग, उपायों  और कुंडली विवेचना के लिए :
आचार्य  रचिता गुप्ता
(वैदिक  व  के.पी ज्योतिषी , टैरो कार्ड थेरेपिस्ट
अंकशास्त्री , वास्तुशास्त्री )
संपर्क : 9958067960








राजस्थान में कैसे कैसे मंदिर

राजस्थान में कैसे कैसे मंदिर

१. सोरसन (बारां) का ब्रह्माणी माता का मंदिर-
यहाँ देवी की पीठ का श्रृंगार
होता है. पीठ
की ही पूजा होती है !
२. चाकसू(जयपुर) का शीतला माता का मंदिर- खंडित
मूर्ती की पूजा समान्यतया नहीं होती है,
पर शीतला माता(चेचक की देवी)
की पूजा खंडित रूप में होती है !
३. बीकानेर का हेराम्ब का मंदिर- आपने गणेश
जी को चूहों की सवारी करते
देखा होगा पर यहाँ वे सिंह की सवारी करते
हैं !
४. रणथम्भोर( सवाई माधोपुर) का गणेश मंदिर- शिवजी के
तीसरे नेत्र से तो हम परिचित हैं लेकिन यहाँ गणेश
जी त्रिनेत्र हैं !
उनकी भी तीसरी आँख
है.
५. चांदखेडी (झालावाड) का जैन मंदिर- मंदिर
भी कभी नकली होता है ?
यहाँ प्रथम तल पर महावीर भगवान्
का नकली मंदिर है, जिसमें दुश्मनों के डर से प्राण
प्रतिष्ठा नहीं की गई.
असली मंदिर जमीन के भीतर
है !
६. रणकपुर का जैन मंदिर- इस मंदिर के 1444
खम्भों की कारीगरी शानदार है.
कमाल यह है कि किसी भी खम्भे पर
किया गया काम अन्य खम्भे के काम से नहीं मिलता ! और
दूसरा कमाल यह कि इतने खम्भों के जंगल में भी आप
कहीं से भी ऋषभ देव जी के
दर्शन कर सकते हैं, कोई खम्भा बीच में
नहीं आएगा.
७. गोगामेडी( हनुमानगढ़)
का गोगाजी का मंदिर- यहाँ के पुजारी मुस्लिम
हैं ! कमाल है कि उनको अभी तक काफिर
नहीं कहा गया और न
ही फतवा जारी हुआ है !
८. नाथद्वारा का श्रीनाथ जी का मंदिर - चौंक
जायेंगे. श्रीनाथ जी का श्रृंगार जो विख्यात है,
कौन करता है ? एक मुस्लिम परिवार करता है !
पीढ़ियों से. कहते हैं कि इनके पूर्वज
श्रीनाथजी की मूर्ति के साथ
ही आये थे.
९. मेड़ता का चारभुजा मंदिर - सदियों से सुबह का पहला भोग यहाँ के
एक मोची परिवार का लगता है ! ऊंच नीच
क्या होती है ?
१०. डूंगरपुर का देव सोमनाथ मंदिर-
बाहरवीं शताब्दी के इस अद्भुत मंदिर में
पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट या गारे का उपयोग
नहीं किया गया है ! केवल पत्थर को पत्थर में
फंसाया गया है.
११. बिलाडा(जोधपुर)
की आईजी की दरगाह -
नहीं जनाब, यह दरगाह नहीं है ! यह
आईजी का मंदिर है, जो बाबा रामदेव
की शिष्या थीं और
सीरवियों की कुलदेवी हैं.
'अभिनव राजस्थान' की 'अभिनव् संस्कृति' में इस
सबको सहेजना है. दुनिया को दिखाना है.

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वर्ष 2015 हिन्दू तीज त्यौहार की सूची

वर्ष 2015 हिन्दू तीज त्यौहार की सूची :
ज्योतिषाचार्य Rrachita
मोबाइल-9958067960

-: जनवरी :- 2015
०१ बृहस्पतिवार पौष पुत्रदा एकादशी
०५ सोमवार पौष पूर्णिमा
०८ बृहस्पतिवार सकट चौथ
१५ बृहस्पतिवार पोंगल , मकर संक्रान्ति
१६ शुक्रवार षटतिला एकादशी
२० मंगलवार मौनी अमावस
२४ शनिवार वसन्त पञ्चमी
२६ सोमवार रथ सप्तमी
२७ मंगलवार भीष्म अष्टमी
३० शुक्रवार जया एकादशी

फरवरी २०१५
०३ मंगलवार माघ पूर्णिमा
१३ शुक्रवार कुम्भ संक्रान्ति
१५ रविवार विजया एकादशी
१७ मंगलवार महा शिवरात्रि

मार्च २०१५

०१ रविवार आमलकी एकादशी
०५ बृहस्पतिवार होली , होलिका दहन
०६ शुक्रवार रंगवाली होली
१४ शनिवार बसोड़ा , शीतला अष्टमी
१५ रविवार मीन संक्रान्ति
१६ सोमवार पापमोचिनी एकादशी
१७ मंगलवार पापमोचिनी एकादशी
२० शुक्रवार सूर्य ग्रहण
२१ शनिवार चैत्र नवरात्रि , गुड़ी पड़वा , युगादी
२२ रविवार गौरीपूजा , गणगौर
२५ बुधवार यमुना छठ
२८ शनिवार राम नवमी
३१ मंगलवार कामदा एकादशी

अप्रैल २०१५
०४ शनिवार हनुमान जयन्ती , चन्द्र ग्रहण
१४ मंगलवार सोलर नववर्ष , मेष संक्रान्ति
१५ बुधवार बरूथिनी एकादशी
२० सोमवार परशुराम जयन्ती
२१ मंगलवार अक्षय तृतीया
२५ शनिवार गंगा सप्तमी
२७ सोमवार सीता नवमी
२९ बुधवार मोहिनी एकादशी

मई २०१५
०२ शनिवार नरसिंघ जयन्ती
०४ सोमवार बुद्ध पूर्णिमा
०५ मंगलवार नारद जयन्ती
१४ बृहस्पतिवार अपरा एकादशी
१५ शुक्रवार वृषभ संक्रान्ति
१७ रविवार वट सावित्री व्रत
१८ सोमवार शनि जयन्ती
२८ बृहस्पतिवार गंगा दशहरा
२९ शुक्रवार निर्जला एकादशी

जून २०१५
०२ मंगलवार वट पूर्णिमा व्रत
१२ शुक्रवार योगिनी एकादशी
१५ सोमवार मिथुन संक्रान्ति
२८ रविवार पद्मिनी एकादशी

जुलाई २०१५
१२ रविवार परम एकादशी
१६ बृहस्पतिवार कर्क संक्रान्ति
१८ शनिवार जगन्नाथ रथयात्रा
२७ सोमवार देवशयनी एकादशी
३१ शुक्रवार गुरु पूर्णिमा

अगस्त २०१५
१० सोमवार कामिका एकादशी
१७ सोमवार हरियाली तीज , सिंह संक्रान्ति
१९ बुधवार नाग पञ्चमी
२६ बुधवार श्रावण पुत्रदा एकादशी
२८ शुक्रवार वरलक्ष्मी व्रत
२९ शनिवार रक्षा बन्धन , नारली पूर्णिमा

सितम्बर २०१५
०१ मंगलवार कजरी तीज
०५ शनिवार कृष्ण जन्माष्टमी
०८ मंगलवार अजा एकादशी
१३ रविवार सूर्य ग्रहण
१६ बुधवार हरतालिका तीज
१७ बृहस्पतिवार गणेश चतुर्थी , कन्या संक्रान्ति , विश्वकर्मा पूजा
१८ शुक्रवार ऋषि पञ्चमी
२१ सोमवार राधा अष्टमी
२४ बृहस्पतिवार परिवर्तिनी एकादशी
२७ रविवार अनन्त चतुर्दशी , गणेश विसर्जन
२८ सोमवार भाद्रपद पूर्णिमा , चन्द्र ग्रहण , प्रतिपदा श्राद्ध

अक्टूबर २०१५
०८ बृहस्पतिवार इन्दिरा एकादशी
१२ सोमवार सर्वपित्रू अमावस्या
१३ मंगलवार नवरात्रि प्रारम्भ
१८ रविवार सरस्वती आवाहन , तुला संक्रान्ति
१९ सोमवार सरस्वती पूजा
२१ बुधवार दुर्गा अष्टमी , महा नवमी
२२ बृहस्पतिवार दशहरा , विजयदशमी
२३ शुक्रवार पापांकुशा एकादशी
२४ शनिवार पापांकुशा एकादशी
२६ सोमवार कोजागर पूजा , शरद पूर्णिमा
३० शुक्रवार करवा चौथ

नवम्बर २०१५
०३ मंगलवार अहोई अष्टमी
०७ शनिवार रमा एकादशी , गोवत्स द्वादशी
०९ सोमवार धन तेरस , काली चौदस
१० मंगलवार नरक चतुर्दशी
११ बुधवार दीवाली , लक्ष्मी पूजा
१२ बृहस्पतिवार गोवर्धन पूजा
१३ शुक्रवार भैया दूज
१७ मंगलवार छट पूजा , वृश्चिक संक्रान्ति
२१ शनिवार कंस वध
२२ रविवार देवुत्थान एकादशी
२३ सोमवार तुलसी विवाह
२५ बुधवार कार्तिक पूर्णिमा

दिसम्बर २०१५
०३ बृहस्पतिवार कालभैरव जयन्ती
०७ सोमवार उत्पन्ना एकादशी
१६ बुधवार विवाह पञ्चमी , धनु संक्रान्ति
२१ सोमवार मोक्षदा एकादशी , गीता जयन्ती

२४ बृहस्पतिवार दत्तात्रेयM जयन्ती
२५ शुक्रवार मार्गशीर्ष पूर्णिमा

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