Tuesday, March 17, 2020

हनुमान जी की उपासना Do and Don't

हनुमान जी की उपासना सम्बंधित संशय समाधान

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हनुमान जी की उपासना महिलाएं व पुरूष दोनों कर सकते हैं लेकिन बहुत से लोगों का मानना है की महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो बाल ब्रह्मचारी थे ऐसा मानना गलत है हनुमान जी के लिए सभी महिलाएं बहन, बेटी और पुत्री के समान हैं। वे अपने भक्तों में किसी भी प्रकार का लिंग भेद नहीं करते।

जब राम जी लक्ष्मण और सीता सहित अयोध्या लौट आए तो एक दिन हनुमान जी माता सीता के कक्ष में पहुंचे। उन्होंने देखा कि माता सीता लाल रंग की कोई चीज मांग में सजा रही हैं।
 
हनुमान जी ने उत्सुक हो माता सीता से पूछा यह क्या है जो आप मांग में सजा रही हैं। माता सीता ने कहा यह सौभाग्य का प्रतीक सिंदूर है। इसे मांग में सजाने से मुझे राम जी का स्नेह प्राप्त होता है और उनकी आयु लंबी होती है। यह सुन कर हनुमान जी से रहा न गया ओर उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लिया तथा मन ही मन विचार करने लगे इससे तो मेरे प्रभु श्रीराम की आयु ओर लम्बी हो जाएगी ओर वह मुझे अति स्नेह भी करेंगे। सिंदूर लगे हनुमान जी प्रभु राम जी की सभा में चले गए।
 
राम जी ने जब हनुमान को इस रुप में देखा तो हैरान रह गए। राम जी ने हनुमान से पूरे शरीर में सिंदूर लेपन करने का कारण पूछा तो हनुमान जी ने साफ-साफ कह दिया कि इससे आप अमर हो जाएंगे और मुझे भी माता सीता की तरह आपका स्नेह मिलेगा।
 
हनुमान जी की इस बात को सुनकर राम जी भाव विभोर हो गए और हनुमान जी को गले से लगा लिया। उस समय से ही हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है और सिंदूर अर्पित करने वाले पर हनुमान जी प्रसन्न रहते हैं।
 
🔹महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर नहीं चढ़ाती। वे केवल अपने पति, पुत्र और देवी मां को ही सिंदूर लगा सकती हैं। वे सिंदूर के स्थान पर लाल रंग के फूल चढ़ाएं।
 
🔹हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल लगाने से रोग, शोक और ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
 
 🔹अपने जीवन का नियम बना लें की प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में  सिंदूर अर्पित करना ही है ऐसा करने से हनुमान जी सदा आपके अंग-संग रहेंगे और जब भी किसी काम के लिए घर से बाहर निकलने लगें तो उनके चरणों के सिंदूर को अवश्य अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से अपनी बुद्धि कुशाग्र होगी और अनचाहे संकट टल जाएंगे।
 
 🔹मंगल ग्रह को अपने अनुकुल करने के लिए हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।



Monday, March 09, 2020

our moment is NOW poem

Not tomorrow.
Not later.
Not the distance future that never comes and is always moving forward.

My moment Now.

My moment is NOW to speak up. My moment is NOW to love myself.
My moment is NOW to honor my heart. My moment is NOW to love my beautiful life giving body. My moment is NOW to choose again.
My moment is NOW to believe I can. My moment is NOW to be willing. My moment is NOW to forgive. My moment is NOW to let go.
My moment is NOW to trust. My moment is NOW to believe in all that’s possible. My moment is NOW to start. My moment is NOW to stop. My moment is NOW to listen. My moment is NOW to ask.
My moment is NOW.
My moment is NOW.
My moment is NOW.
I speak it.
I live it.
I love it.
Fully.
My moment is NOW in the big and small.

My moment is NOW.

Grab the moment.
It matters.

Our moment is Now...!!!

रवींद्रनाथ के एक उपन्यास मे प्रेम क्या है

रवींद्रनाथ के एक उपन्यास में एक युवती अपने प्रेमी से कहती है कि मैं विवाह करने को तो राजी हूं, लेकिन तुम झील के उस तरफ रहोगे और मैं झील के इस तरफ।

प्रेमी की बात समझ के बाहर है। वह कहता है: तू पागल हो गई है?  
प्रेम करने के बाद लोग एक ही घर में रहते हैं।
उसने कहा कि प्रेम करने के पहले भला एक घर में रहें, प्रेम करने के बाद एक घर में रहना ठीक नहीं, खतरे से खाली नहीं। एक-दूसरे के आकाश में बाधाएं पड़नी शुरू हो जाती हैं। मैं झील के उस पार, तुम झील के इस पार। यह शर्त है तो विवाह होगा। हां, कभी तुम निमंत्रण भेज देना तो मैं आऊंगी। या मैं निमंत्रण भेजूंगी तो तुम आना। या कभी झील पर नौका-विहार करते अचानक मिलना हो जाएगा। या झील के पास खड़े वृक्षों के पास सुबह के भ्रमण के लिए निकले हुए अचानक हम मिल जाएंगे, चौंक कर, तो प्रीतिकर होगा। लेकिन गुलामी नहीं होगी। तुम्हारे बिना बुलाए मैं न आऊंगी, मेरे बिना बुलाए तुम न आना। तुम आना चाहो तो ही आना, मेरे बुलाने से मत आना। मैं आना चाहूं तो ही आऊंगी, तुम्हारे बुलाने भर से न आऊंगी। इतनी स्वतंत्रता हमारे बीच रहे, तो स्वतंत्रता के इस आकाश में ही प्रेम का फूल खिल सकता है।

एक तो साधारण प्रेम है जिसको तुम जानते हो। इस प्रेम ने तुम्हारे जीवन को नरक बना दिया है। इस प्रेम की बात नहीं कर रहा  प्रेम-पंथ ऐसो कठिन! यह तो कठिन है ही नहीं। यह तो बड़ा सरल है। दुनिया में सभी इसको सम्हाल लेते हैं। इसमें कठिनाई क्या होगी? हर घर में चल रहा है, हर परिवार में चल रहा है, हर व्यक्ति में चल रहा है। यह तो बड़ा सरल है।

इससे ऊंचा एक प्रेम होता है। उसको प्रेम में गिरना नहीं कह सकते। उसको हम कहेंगे: प्रेम में होना, बीइंग इन लव। वह बड़ी और बात है। उसका स्वभाव मैत्री का है। खलील जिब्रान ने ठीक कहा है कि सच्चे प्रेमी मंदिर के दो स्तंभों की भांति होते हैं। बहुत पास भी नहीं, क्योंकि बहुत पास हों तो मंदिर गिर जाए। बहुत दूर भी नहीं, क्योंकि बहुत दूर हों तो भी मंदिर गिर जाए।...देखते हो ये स्तंभ, जिन्होंने च्वांग्त्सु-मंडप को सम्हाला हुआ है? ये बहुत पास भी नहीं हैं, बहुत दूर भी नहीं हैं। थोड़ी दूरी, थोड़े पास। तो ही छप्पर सम्हला रह सकता है। एकदम पास आ जाएं तो छप्पर गिर जाए; बहुत दूर हो जाएं तो छप्पर गिर जाए। एक संतुलन चाहिए।

असली प्रेमी न तो एक-दूसरे के बहुत पास होते हैं, न बहुत दूर होते हैं। थोड़ा सा फासला रखते हैं, ताकि एक-दूसरे की स्वतंत्रता जीवित रहे। ताकि एक-दूसरे की स्वतंत्रता में व्याघात न हो, अतिक्रमण न हो। ताकि एक-दूसरे की सीमा में अकारण हस्तक्षेप न हो।

प्रेम में होने का अर्थ होता है: हम पास भी होंगे इतने कि हमें एक-दूसरे से कोई भय का कारण नहीं, और हम इतने दूर भी होंगे कि हम एक-दूसरे को रौंद भी न डालेंगे, हमारे बीच आकाश होगा। और तुम्हारा निमंत्रण होगा तो मैं आऊंगा, और मेरा निमंत्रण होगा तो तुम मेरे भीतर आओगे। मगर निमंत्रण पर। यह हक न होगा, अधिकार न होगा।

प्रेम—पंथ ऐसो कठिन !!

Thursday, March 05, 2020

Rahu in horoscope indicates what craving ? an analysis of past birth

*#राहु* in whichever house rahu sits in present horoscope, denotes the area you lost in while in previous birth and you are now born again to reclaim what was taken away from you. Example rahu in 2nd house means  loss of wealth in previous birth so always craving for it now, 10th house loss of identity and stable career so now seeking accomplishments in that field are being craved. 
Rrachita 

राहु एक शरारती ग्रह है। यह इंसान के मन में जन्म जन्मांतरों की एकत्रित की गaई समझ का कारक है। 
यह बहुत गंभीर चिंतन या गहराई का प्रतीक है। यह दिमाग में अचानक कोई ख्याल पैदा करता है। इसलिए राहु की इष्ट देवी सरस्वती को माना गया है। आठवें घर के राहु के बारे में  बातें कही जाती हैं ।ऐसा राहु इंसान को कई तरह के धोखे, भुलावे में डाल सकता है साथ ही यह भी कहा जाता है कि जिसके आठवें घर में राहु हो समय का राजा और विद्ववान उसका आदर करते हैं। राहु का  व्यवहार ऐसा है कि इंसान अपना घर बार छोड़कर कहीं चला जाता है और उसका कोई अता-पता नहीं मिलता, न ही घर छोड़ने का कोई कारण मिलता है।
राहु मतलब आप की कोशिश जिस चीज की आप अपने जीवन मे कमी मह्सुश कर रहे है वो राहु की स्थिति से पता चलता है। कूण्डली  के  जिस भाव मे राहु होगा इसका अर्थ ये है कि उस भाव से सम्बंधित चीजे आप से पिछले जन्म में छीन ली गई थी।
उन्ही चीजों को दुबारा पाने के लिए आप का जन्म हुआ है। जहाँ आप शाम दाम दंड भेद हर चीज़ को use करते है। उसे दुबारा पाने के लिए क्यों कि वो चीजे past लाइफ में  आप से छीन ली गई थी। किसी ने आप के साथ धोखा किया होगा किसी ने आप के साथ चीट किया  होगा।
हमारी जो इच्छाएं जो उमीदें अधूरी छूट जाती है उनी सब चीजों के लिए हमारा जन्म वापस होता है।
ओर तब राहु से पता चलता है। कि आप की  कोनसी इच्छाएं अधूरी रह गई पिछले जन्म से जिस  से आप पाने के लिए इस जन्म में आते है।

उदारण के लिय मान लीजिय की किसी के लग्न चार्ट में राहु 2nd हाउस में बैठा है। 
मतलब आप की जो सोच है वे हमेशा वेल्थी अमीर बनने वाली रहेगी पैसा पैसा 
क्यों कि पिछले जन्म में ये सब आप स छीन लिया गया था  जिस पाने के लिए आप फिंर आये है।
 राहु जिस भाव मे  है  मतलब ये है कि पिछले जन्म में उस भाव की चीजें आप स छीन ली गई थी। ओर जिस से पाने के लिए आप वापस आये है।।
 सिंगला पलवल 
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उपाय काम क्यू नही करते।
क्यों की करने वाला इसे अलग अलग समय करता है।
बीच में एक आधे दिन का गैप भी हो जाता है।
जो उपाय दिए होते है उनमें से सभी पूरे नहीं करता है।
उपाय केसे करे?
लगातार कम से कम 2 महीने
एक निश्चित समय पर
सभी उपाय करने पर
जब आप उपाय करते है तो नेगेटिविटी देने वाले ग्रह व्यवधान उत्तपन कर सकते है लेकिन फिर भी आप को उपाय पूरे करने है।
फायदा या नुकसान होने पर अपने मार्गदर्शक को सूचित करे
भटकने की आदत का त्याग करे किसी एक पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखे।
ज्योतिष कोई चमत्कार नहीं है केवल सही रास्ता दिखाने का कार्य करता है।
आपका फायदा आपकी श्रद्धा विश्वास और भाव पर होता है। बाकी फल देने वाला परमात्मा ही ही है हम केवल माध्यम है 🙏
🙏🌹हम भाग्य के ज्ञाता है
भाग्य विधाता नही।🌹🙏
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Monday, March 02, 2020

होलाष्टक क्या होता है holashtak 3 to 9 march 2020

(होलाष्टक 3मार्च से 9मार्च तक)

होलाष्टक क्या होता है ?

मित्रो होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते है 

यह इस बार 2मार्च से लग जायँगे और 9 मार्च  तक रहेंगे 

यह दिन अच्छे नही माने जाते है और इन दिनों में कोई भी शुभ काम नही किया जाता है 

कहा जाता है इन दिन अगर कोई शुभ काम करो तो उसका फल नही मिलता है 

इसलिए शादी विवाह सगाई नामकरण संस्कार ग्रह प्रवेश महूर्त और जो भी शुभ कार्य होते है उनको नही करना चाहिए 

इसके पीछे बहुत सी कहानियां है 

कहते है कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या इन दिनों ही भंग करने की कोशिश की थी और भगवान शिव ने गुस्से में कामदेव को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्ठमी तिथि को भस्म कर दिया था  तब कामदेव की पत्नी ने भगवान शिव की तपस्या की थी भगवान शिव ने कामदेव को फिर से जीवन दान दिया था जिस दिन कामदेव को जीवन दान मिला था वो धुलेंडी बड़ी होली का दिन था 

जो यह आठ दिन है इसमें कामदेव की पत्नी रति विरह की अग्नि में जली थी इसलिए इन आठ दिनों में कोई भी शुभ काम खास तौर पर शादी के विवाह महूर्त नही निकाले जाते है 

कुछ लोगो का यह भी कहना है होली से आठ दिन पहले प्रह्लाद को बहुत यातनाये दी गई थी जिसकी वजह से इन आठ दिन  अच्छे नही माने जाते है यह दिन अशुभ कहे जाते है 

होलाष्टक के पहले दिन जहाँ पर होली का जलाना है वहाँ गोबर की लिपाई की जाती है गंगाजल से उसको शुद्ध किया जाता है और होली के जलने की प्रतीक्षा की जाती है 

और जब होली जल जाती है बुराई का अन्त भी हो जाता है और सभी शुभ कामो के लिए महूर्त खुल जाते है 

होली से आठ दिन पहले इन दिनों में कोई भी शुभ काम हमको नही करना चाहिए कोई नई चीज खरीदने से भी बचना चाहिए 
WWW.ASTRORRACHITA.IN 


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