Wednesday, July 06, 2022

24 gurus of Lord Dattatrey दत्तात्रेय

भगवान_दत्तात्रेय ने 24 गुरु_बनाए थे। 

 भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु कौन कौन हैं और उनसे क्या सीखा जा सकता है।

1. पृथ्वी- सहनशीलता व परोपकार की भावना सीख सकते हैं। पृथ्वी पर लोग कई प्रकार के आघात करते हैं, कई प्रकार के उत्पात होते हैं, कई प्रकार खनन कार्य होते हैं, लेकिन पृथ्वी हर आघात को परोपकार का भावना से सहन करती है।

 2. पिंगला वेश्या- पिंगला नाम की वेश्या से दत्तात्रेय ने सबक लिया कि केवल पैसों के लिए जीना नहीं चाहिए। वह वेश्या सिर्फ पैसा पाने के लिए किसी भी पुरुष की ओर इसी नजर से देखती थी, वह धनी है और उससे धन प्राप्त होगा। धन की कामना में वह सो नहीं पाती थी। जब एक दिन पिंगला वेश्या के मन में वैराग्य जागा, तब उसे समझ आया कि पैसों में नहीं बल्कि परमात्मा के ध्यान में ही असली सुख है, तब उसे सुख की नींद आई। 

3. कबूतर- कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे बच्चों को देखकर खुद भी जाल में जा फंसता है। इनसे यह सबक लिया जा सकता है कि किसी से बहुत ज्यादा स्नेह दु:ख ही वजह होता है। 

4. सूर्य- सूर्य से दत्तात्रेय ने सीखा कि जिस तरह एक ही होने पर भी सूर्य अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग दिखाई देता है। आत्मा भी एक ही है, लेकिन कई रूपों में दिखाई देती है। 

5. वायु- जिस प्रकार अच्छी या बुरी जगह पर जाने के बाद वायु का मूल रूप स्वच्छता ही है। उसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर भी हमें अपनी अच्छाइयों को छोडऩा नहीं चाहिए। 

6. हिरण- हिरण उछल-कूद, संगीत, मौज-मस्ती में इतना खो जाता है कि उसे अपने आसपास शेर या अन्य किसी हिंसक जानवर के होने का आभास ही नहीं होता है और वह मारा जाता है। इससे यह सीखा जा सकता है कि हमें कभी भी मौज-मस्ती में इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए। 

7. समुद्र- जीवन के उतार-चढ़ाव में भी खुश और गतिशील रहना चाहिए। 

8. पतंगा- जिस प्रकार पतंगा आग की ओर आकर्षित होकर जल जाता है। उसी प्रकार रूप-रंग के आकर्षण और झूठे मोह में उलझना नहीं चाहिए।

9. हाथी- हाथी हथिनी के संपर्क में आते ही उसके प्रति आसक्त हो जाता है। अत: हाथी से सीखा जा सकता है कि संन्यासी और तपस्वी  को आसक्ति से बहुत दूर रहना चाहिए।

10. आकाश- दत्तात्रेय ने आकाश से सीखा कि हर देश, काल, परिस्थिति में लगाव से दूर रहना चाहिए।

11. जल- दत्तात्रेय ने जल से सीखा कि हमें सदैव पवित्र रहना चाहिए। 

12. छत्ते से शहद निकालने वाला- मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करती है और एक दिन छत्ते से शहद निकालने वाला सारा शहद ले जाता है। इस बात से ये सीखा जा सकता है कि आवश्यकता से अधिक चीजों को एकत्र करके नहीं रखना चाहिए। 

13. मछली- हमें स्वाद का लोभी नहीं होना चाहिए। मछली किसी कांटे में फंसे मांस के टुकड़े को खाने के लिए चली जाती है और अंत में प्राण गंवा देती है। हमें स्वाद को इतना अधिक महत्व नहीं देना चाहिए, ऐसा ही भोजन करें जो सेहत के लिए अच्छा हो। 

14. कुरर पक्षी- कुरर पक्षी से सीखना चाहिए कि चीजों को पास में रखने की सोच छोड़ देना चाहिए। कुरर पक्षी मांस के टुकड़े को चोंच में दबाए रहता है, लेकिन उसे खाता नहीं है। जब दूसरे बलवान पक्षी उस मांस के टुकड़े को देखते हैं तो वे कुरर से उसे छिन लेते हैं। मांस का टुकड़ा छोड़ने के बाद ही कुरर को शांति मिलती है। 

15. बालक- छोटे बच्चे से सीखा कि हमेशा चिंतामुक्त और प्रसन्न रहना चाहिए। 

16. आग- आग से दत्तात्रेय ने सीखा कि कैसे भी हालात हों, हमें उन हालातों में ढल जाना चाहिए। जिस प्रकार आग अलग-अलग लकडिय़ों के बीच रहने के बाद भी एक जैसी ही नजर आती है। 

17. चंद्रमा- आत्मा लाभ-हानि से परे है। वैसे ही जैसे घटने-बढ़ने से भी चंद्रमा की चमक और शीतलता बदलती नहीं है, हमेशा एक-जैसे रहती है। आत्मा भी किसी भी प्रकार के लाभ-हानि से बदलती नहीं है। 

18. कुमारी कन्या- कुमारी कन्या से सीखना चाहिए कि अकेले रहकर भी काम करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। दत्तात्रेय ने एक कुमारी कन्या देखी जो धान कूट रही थी। धान कूटते समय उस कन्या की चूडिय़ां आवाज कर रही थी। बाहर मेहमान बैठे थे, जिन्हें चूडिय़ों की आवाज से परेशानी हो रही थी। तब उस कन्या ने चूडिय़ों आवाज बंद करने के लिए चूडिय़ां ही तोड़ दी। दोनों हाथों में बस एक-एक चूड़ी ही रहने दी। इसके बाद उस कन्या ने बिना शोर किए धान कूट लिया। अत: हमें ही एक चूड़ी की भांति अकेले ही रहना चाहिए।

19. शरकृत या तीर बनाने वाला- अभ्यास और वैराग्य से मन को वश में करना चाहिए। दत्तात्रेय ने एक तीर बनाने वाला देखा जो तीर बनाने में इतना मग्न था कि उसके पास से राजा की सवारी निकल गई, पर उसका ध्यान भंग नहीं हुआ। 

20. सांप- दत्तात्रेय ने सांप से सीखा कि किसी भी संन्यासी को अकेले ही जीवन व्यतीत करना चाहिए। साथ ही, कभी भी एक स्थान पर रुककर नहीं रहना चाहिए। जगह-जगह ज्ञान बांटते रहना चाहिए। 

21. मकड़ी- मकड़ी से दत्तात्रेय ने सीखा कि भगवान भी माय जाल रचते हैं और उसे मिटा देते हैं। जिस प्रकार मकड़ी स्वयं जाल बनाती है, उसमें विचरण करती है और अंत में पूरे जाल को खुद ही निगल लेती है, ठीक इसी प्रकार भगवान भी माया से सृष्टि की रचना करते हैं और अंत में उसे समेट लेते हैं। 

22. भृंगी कीड़ा- इस कीड़े से दत्तात्रेय ने सीखा कि अच्छी हो या बुरी, जहां जैसी सोच में मन लगाएंगे मन वैसा ही हो जाता है। 

23. भौंरा या मधुमक्खी- भौरें से दत्तात्रेय ने सीखा कि जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। जिस प्रकार मधुमक्खी और भौरें अलग-अलग फूलों से पराग ले लेती है। 

24. अजगर- अजगर से सीखा कि हमें जीवन में संतोषी बनना चाहिए। जो मिल जाए, उसे ही खुशी-खुशी स्वीकार कर लेना चाहिए।


सावन के आयुर्वेदिक नियम Do's and don't in monsoon

#सावन__के__आयुर्वेदिक__नियम
इस महीने में नहीं पीना चाहिए दूध, ये चीजें जरूर खाएं

तेज लू-लपट और झुलसा देने वाली तेज गर्मी के बाद बारिश का मौसम बहुत सुहाना लगता है। बारिश के मौसम की ठंडी हवाएं, फुहार और हरियाली माहौल खुशनुमा बना देती हैं। इस मौसम में बरसते पानी को देखते हुए पकौड़ों का लुत्फ उठाने का भी अपना मजा है।

👉🏽 #_आयुर्वेद के नजरिए से देखा जाए तो इस मौसम में जठराग्नि कमजोर रहती है और वात प्रकुपित रहता है। इसलिए आहार-विहार संबंधी नियमों का पालन भी जरूरी होता है। आइए, आज जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार किन चीजों को सावन में खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।
 
▪️ #_न_करें_दूध_का_सेवन - आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार सावन के महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। आप सोच रहे होंगे कि भला दूध से क्या नुकसान हो सकता है। दरअसल, सावन में बारिश के कारण हरियाली ज्यादा होती है। मौसम परिवर्तन के कारण हरियाली में जहरीले कीड़ेे-मकोड़ों की भी अधिकता होती है।

सावन के महीने में दूध से बनी चीजों को भी सावन में खाने से मना किया जाता है। सावन के महीने में कच्चा दूध नहीं पीना चाहिए। कच्चा दूध पीने से पित्त और कफ की परेशानी हो सकती है।  

यही कारण है कि गाय या भैंस घास के साथ कई कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाते  है। इसलिए दूध हानिकारक हो जाता है। इस समय में दूध के सेवन से वात बढ़ता है, जिसके कारण बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सावन में दूध नहीं पीना चाहिए। इस कारण दूध गुणकारी कम और हानिकारक ज्यादा हो जाता है।

▪️ #_कच्ची_हरी_सब्जियों_से_दूर_रहें- सावन के महीने में हरी सब्जियों का सेवन वर्जित माना गया है। दरअसल, आयुर्वेद के अनुसार बारिश की हरी सब्जियों में बीमारी फैलाने वाले कीटाणु बहुत अधिक होते हैं। इससे पेट व त्वचा से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसीलिए सावन में हरी सब्जियां नहीं खानी चाहिए।

▪️ #_बैंगन से करें तौबा - सावन के महीने में बैंगन भी नहीं खाना चाहिए। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि सावन में बैंगन में कीड़े अधिक लगते हैं। ऐसे में बैंगन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 

▪️ #_जरूर_खाएं ये चीजें- आयुर्वेद के अनुसार बारिश में सुपाच्य, ताजा, गर्म और जल्दी पचने वाली चीजें खानी चाहिए। इस मौसम में पुराना गेहूं, चावल, मक्का, सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मूंग, अरहर की दाल, सब्जियों में लौकी, तुरई, टमाटर। फलों में सेब, केला, अनार, नाशपाती, पके जामुन, देशी आम और घी व तेल में बनी नमकीन चीजें खानी चाहिए। इस मौसम में जामुन खाने के भी अनेक फायदे हैं। जामुन खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है, त्वचा रोग, प्रमेह रोग आदि दूर रहते हैं। भुट्टों का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। वैज्ञानिक तौर पर सावन के महीने में सलाद का सेवन नहीं करना चाहिए। बारिश के मौसम में सब्जियों में बैक्टीरिया पैदा हो जाता है इसलिए कच्ची सब्जियों का खाना वर्जित होता है। खास तौर पर सावन के महीने में मशरुम का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए।

▪️ #_सावन के महीने में तली और भुनी चीजें सेहत के लिए नुकसान दायक होती हैं। डॉक्टर कहते हैं कि ऐसी चीजें इस मौसम में खाने से पेट में सूजन आ जाती है और साथ ही पाचन क्रिया भी कमजोर हो जाती है।