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मृत्यु उपरांत गति विचार -
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मृत्यु के बाद आत्मा की क्या गति होगी या वह पुन: किस रूप में जन्म लेगी, इसके बारे में भी जन्म कुंडली देखकर जाना जा सकता है. आगे इसी से संबंधित कुछ योग प्रस्तुत हैं-
1. कुंडली में कहीं पर भी यदि कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है.
2. लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तथा कोई पापग्रह उसे न देखते हों तो ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है.
3. अष्टमस्थ राहु व्यक्ति को पुण्यात्मा बना देता है तथा मरने के बाद वह राजकुल में जन्म लेता है, ऐसा विद्वानों का मानना है.
4. अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तथा लग्नस्थ मंगल पर नीच शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति रौरव नरक भोगता है.
5. अष्टमस्थ शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति मृत्यु के बाद वैश्य (बनिया) कुल में जन्म लेता है.
6. अष्टम भाव पर मंगल और शनि, इन दोनों ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की अकाल मृत्यु होती है.
7. अष्टम भाव पर शुभ अथवा अशुभ किसी भी प्रकार के ग्रह की दृष्टि न हो और न अष्टम भाव में कोई ग्रह स्थित हो तो जातक ब्रह्मलोक प्राप्त करता है.
8. लग्न में गुरु-चंद्र, चतुर्थ भाव में तुला का शनि एवं सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल हो तो व्यक्ति जीवन में कीर्ति अर्जित करता हुआ मृत्यु के बाद ब्रह्मलीन होता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
9. लग्न में उच्च का गुरु चंद्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो एवं अष्टम स्थान ग्रहों से रिक्त हो तो व्यक्ति जीवन में सैकड़ों धार्मिक कार्य करता है तथा प्रबल पुण्यात्मा एवं मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त करता है.
10. अष्टम भाव को शनि देख रहा हो तथा अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो व्यक्ति योगिराज पद प्राप्त करता है तथा मृत्यु के बाद विष्णु लोक प्राप्त करता है.
11. यदि जन्म कुंडली में चार ग्रह उच्च के हों तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसका कीर्ति रहती है.
12. ग्यारहवे भाव में सूर्य-बुध हों, नवम भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो व्यक्ति मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है.
विशेष योग -
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1. बारहवां भाव शनि, राहु या केतु से युक्त हो फिर अष्टमेश से युक्त हो अथवा षष्ठेश से दृष्ट हो तो मरने के बाद अनेक नरक भोगने पड़ेंगे, ऐसा समझना चाहिए.
2. गुरु लग्न में हो, शुक्र सप्तम भाव में हो, कन्या राशि का चंद्रमा हो एवं धनु लग्न में मेष का नवांश हो तो ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद परमपद प्राप्त करता है.
3. अष्टम भाव को गुरु, शुक्र और चंद्र, ये तीनों ग्रह देखते हों तो जातक मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण के चरणों में स्थान प्राप्त करता है।
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मृत्यु उपरांत गति विचार -
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मृत्यु के बाद आत्मा की क्या गति होगी या वह पुन: किस रूप में जन्म लेगी, इसके बारे में भी जन्म कुंडली देखकर जाना जा सकता है. आगे इसी से संबंधित कुछ योग प्रस्तुत हैं-
1. कुंडली में कहीं पर भी यदि कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है.
2. लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तथा कोई पापग्रह उसे न देखते हों तो ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है.
3. अष्टमस्थ राहु व्यक्ति को पुण्यात्मा बना देता है तथा मरने के बाद वह राजकुल में जन्म लेता है, ऐसा विद्वानों का मानना है.
4. अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तथा लग्नस्थ मंगल पर नीच शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति रौरव नरक भोगता है.
5. अष्टमस्थ शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति मृत्यु के बाद वैश्य (बनिया) कुल में जन्म लेता है.
6. अष्टम भाव पर मंगल और शनि, इन दोनों ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की अकाल मृत्यु होती है.
7. अष्टम भाव पर शुभ अथवा अशुभ किसी भी प्रकार के ग्रह की दृष्टि न हो और न अष्टम भाव में कोई ग्रह स्थित हो तो जातक ब्रह्मलोक प्राप्त करता है.
8. लग्न में गुरु-चंद्र, चतुर्थ भाव में तुला का शनि एवं सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल हो तो व्यक्ति जीवन में कीर्ति अर्जित करता हुआ मृत्यु के बाद ब्रह्मलीन होता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
9. लग्न में उच्च का गुरु चंद्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो एवं अष्टम स्थान ग्रहों से रिक्त हो तो व्यक्ति जीवन में सैकड़ों धार्मिक कार्य करता है तथा प्रबल पुण्यात्मा एवं मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त करता है.
10. अष्टम भाव को शनि देख रहा हो तथा अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो व्यक्ति योगिराज पद प्राप्त करता है तथा मृत्यु के बाद विष्णु लोक प्राप्त करता है.
11. यदि जन्म कुंडली में चार ग्रह उच्च के हों तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसका कीर्ति रहती है.
12. ग्यारहवे भाव में सूर्य-बुध हों, नवम भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो व्यक्ति मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है.
विशेष योग -
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1. बारहवां भाव शनि, राहु या केतु से युक्त हो फिर अष्टमेश से युक्त हो अथवा षष्ठेश से दृष्ट हो तो मरने के बाद अनेक नरक भोगने पड़ेंगे, ऐसा समझना चाहिए.
2. गुरु लग्न में हो, शुक्र सप्तम भाव में हो, कन्या राशि का चंद्रमा हो एवं धनु लग्न में मेष का नवांश हो तो ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद परमपद प्राप्त करता है.
3. अष्टम भाव को गुरु, शुक्र और चंद्र, ये तीनों ग्रह देखते हों तो जातक मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण के चरणों में स्थान प्राप्त करता है।
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