Saturday, June 15, 2019

रविवार, 16 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा

*कल रविवार, 16 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है।*

रविवार और पूर्णिमा के योग में सुबह जल्दी उठें। स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

सूर्यदेव की पूजा में धूप, दीप जलाकर सूर्यदेव की आरती करें।

पूर्णिमा तिथि पर विष्णुजी के स्वरूप सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए। अगर संभव हो सके तो किसी ब्राह्मण से कथा करवानी चाहिए। ब्राह्मण की मदद से पूजा विधि-विधान से हो जाती है।

महिलाओं के लिए इस तिथि का काफी अधिक महत्व है।
इस पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। महिलाएं अपने पति के सौभाग्य और लंबी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं।

वट सावित्री पूर्णिमा पर विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और 108 परिक्रमा लगाती हैं। पेड़ पर कच्चा सूत लपेटा जाता है और पति की लंबी उम्र का वरदान मांगा जाता है।

स्कंद पुराण और भविष्य पुराण के अनुसार वट सावित्रि व्रत ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को रखा जाता है। इस दिन महिलाओं को नए कपड़े पहनना चाहिए,सोलह श्रृंगार करना चाहिए।

बरगद की पूजा करके वट वृक्ष को फल चढ़ाएं,फूल और माला अर्पित करें, धूप-दीप जलाएं।

इस तिथि पर विवाहित महिलाओं को सत्यवान और सावित्री की कथा सुननी चाहिए।
ये प्राचीन परंपरा है, इस संबंध में मान्यता है कि ये कथा सुनने से महिलाओं को सौभाग्य मिलता है।

पूर्णिमा पर माता सावित्री की पूजा करें। किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दें,
भोजन कराएं।

सूर्यास्त के बाद किसी हनुमान मंदिर जाएं और भगवान के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।

शाम के समय घर में तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श न करें और जल भी नहीं चढ़ाएं।

रात में घर के मंदिर में दीपक जलाएं, इस दीपक से सकारात्मकता बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म होता है।

सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें।
अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है।

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