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🙏 हर हर महादेव🙏
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एवं घोरकलौ चापि नराणां पापचेतसाम् ।
भविष्यति सतां हानिरसतामुन्नतिः सदा ।।
दे०पु० ८१| ९
अर्थात-
"घोर कलियुग में भगवान शिव का पूजन पापबुद्धि मनुष्य के लिए भी मुक्ति प्रदान करने वाला होगा "
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शम्भोराराधनसमं नास्ति कर्म कलौ युगे ।
शाक्तो वा वैष्णव: शैव: पूर्वं सम्पूज्य शंकरम् ।।
दे०पु० ८१| १३
अर्थात-
"इस कलयुग में भगवान शिव की आराधना के समान कोई सत्कर्म नहीं है । शाक्त, वैष्णव अथवा शैवों को पूर्व में भगवान शंकर की पूजा कर, भक्ति पूर्वक अपने इष्ट देव की पूजा करनी चाहिए।"
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यत्र कुत्र च संस्थाय संस्मरेत्परमेश्वरम् ।
तत्रैव सर्वतीर्थानि निवसन्ति महामते ।।
दे०पु० ८१| ४०
अर्थात-
" महामते ! जहाँ कहीं रहकर जो व्यक्ति भगवान शंकर का स्मरण करता है, वहीं सभी तीर्थों का निवास हो जाता है । "
प्रस्तुति
डॉ० प्रदीप कनेश
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