Friday, November 04, 2016

ज्योतिष शास्त्र में पंचक नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती।

किसे कहते हैं पंचक
ज्योतिष शास्त्र में पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहते हैं। ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार चंद्रमा अपनी माध्यम गति से 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। इसलिए प्रत्येक माह में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र आते रहते हैं।

(1) रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक को रोग पंचक कहा जाता है। इसके प्रभाव से शारीरिक और मानसिक परेशानियां होती हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

(2) राज पंचक
सोमवार को शुरू हुआ पंचक राज पंचक कहलाता है। ये अति शुभ पंचक माना जाता है। इस समय शुरू किए गए सभी कार्यों में सुनिश्चित सफलता मिलती है। इस समय राजकार्य तथा जमीन-जायदाद से जुड़े कार्य करना शुभ रहता है।

(3) अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक के दौरान किसी भी तरह का निर्माण करना अशुभ रहता है। वरन यह समय मुकदमेबाजी तथा कोर्ट कचहरी के लिए अतिउपयुक्त माना जाता है।

(4) मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। जैसाकि नाम से ही जाहिर होता है, इस पंचक के दौरान किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए अन्यथा मरण तुल्य कष्ट होता है।

(5) चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। यह पंचक भी अशुभ ही माना जाता है। विशेष तौर पर इस समय लेन-देन, व्यापार, किसी भी तरह के सौदे या नई यात्रा शुरू नहीं करनी चाहिए अन्यथा धन और समय की हानि होती है।
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