यदि पत्नी की कुंडली में मंगल शुक्र के पीछे है तो पत्नी की पति की अपेक्षा यौन रुचि अधिक होगी ।
अगर पति की कुंडली में शुक्र मंगल के पीछे है तो तो पत्नी की यौनेच्छा पति की अपेक्षा अधिक होगी।
बुध और केतु एक -दूसरे से त्रिकोण में हों तो व्यक्ति की अचानक प्रेम में पड़ने की प्रवृत्ति है लेकिन ऐसा प्रेम परिणाम रहित रहता है।
यदि चंद्रमा शुक्र से त्रिकोण में बैठे हों तो पत्नी बेईमान होती है।
बुध यदि मंगल से त्रिकोण में हो तो पति के अन्यत्र संबंध हैं।
स्त्री की कुंडली मे राहु मंगल से त्रिकोण में स्त्री को तीव्र ,काम ,आवेगपूर्ण बनाते हैं।
केतु मंगल से त्रिकोण में होने पर यौनेच्छा अत्यंत कम करके काम संबंध के दृष्टिकोण से विरत स्त्री दिखाते हैं।
अगर राहु लग्न में तो जातक का अपने पूर्वजों से कर्म संबंध होता है।उसके जीवन मे घटनायें अप्रत्याशित रूप से घटती हैं ।
गुरु-शनि परस्पर षडाष्टक हों तो किसी दुर्भाग्य के कारण अचानक गिरावट आती है और व्यक्ति को कम इच्छाओं के साथ जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
गुरु-शनि यदि द्वि-द्वादश या तृतीय एकादश हो तो व्यक्ति जीवन में जल्दी सफलताएं पाता है।उसकी इच्छाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं और सुखी रहता है।
वैदिक ज्योतिष में हर समस्या का समाधान है ...
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