Showing posts with label OM. Show all posts
Showing posts with label OM. Show all posts

Monday, December 01, 2014

Benefits of OM CHANTING

ॐ के 11 शारीरिक लाभ:

ॐ अर्थात् ओउम् तीन अक्षरों से बना है,

जो सर्व विदित है ।

अ उ म् ।

"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,

"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,

"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात्"ब्रह्मलीन" हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानें,

ॐ कैसे है स्वास्थ्य वर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए मात्र ॐ के उच्चारण का मार्ग.

1, ॐ और थायरायडः

ॐ के दूसरे अक्षर का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

2. ॐ और घबराहटः

अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

3. ॐ और तनावः यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है,

अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

4. ॐ और खून का प्रवाहः

यह हृदय औरख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5. ॐ और पाचनः

ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

6. ॐ लाए स्फूर्तिः

इससे शरीर में फिर से युवा वस्था वाली स्फूर्तिका संचार होता है।

7. ॐ और थकान:

थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

8. ॐ और नींदः

नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।

9. ॐ और फेफड़े:

कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:

ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है।
इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है

11. ॐ दूर करे तनावः

अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर देगें साथ ही इसे उन लोगों तक भी पहुंचाये गे जिनकी आपको फिक्र है पहला सुख निरोगी काया ।। अपना ख्याल रखिये

Sunday, September 14, 2014

How would you know that you have actually forgiven someone?

"How would you know that you have actually forgiven someone?

When you are not obsessed about that person anymore, and can concentrate on other stuff. When you can think or talk about that person without anger or resentment. When talking or thinking about that person doesn’t hurt anymore and you don’t feel teary eyed. When instead of either overeating or starving, you eat normally. When instead of either yelling or sulking, you are yourself once again; that is when the forgiveness is complete."