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Wednesday, December 26, 2018

अंगारक योग ANGARAK YOG RAHU + MARS IN DIFFERENT HOUSES

🏵️ ।। अंगारक योग   ।।🏵️  

यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो उसे "अंगारक" योग कहते हैं । अगर ये योग बन रहा हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भी भाव में यह योग बने उस भाव और जिन भावों पर राहु व मंगल की द्रष्टी हो उन भावों को पीड़ित कर देता है और उन भावों से नियंत्रित होने वाले पहलुओं में संघर्ष बने रहते हैं।

कुंडली के 12 भाव में अंगारक योग से होने वाला प्रभाव :-

1-प्रथम भाव में अंगारक योग होने से पेट व लीवर रोग, माथे पर चोट, अस्थिर मानसिकता, क्रूरता और निजी भावनाओं की असंतुष्टि देता है।

2-द्वितीय भाव में अंगारक योग होने से धन में उतार-चढ़ाव, तंगहाली, वाणी-दोष, कुटंभियों से विवाद व सक्की मिजाज बनाता है।

3-तृतीय भाव में अंगारक योग होने से भाई-बहनों-मित्रों से कटु संबंध, वटवारा, अति उत्साही, एवं नास्तिक छल-कपट से सफल होते है।

4-चतुर्थ भाव में अंगारक योग होने से माता को दुख, अशान्ती, क्लेश, मकान में बाधाऐं व भूमि संबंधित विवाद होते हैं।

5-पंचम भाव में अंगारक योग होने से संतानहीनता, संतान से असंतुष्ट, नाजायज प्रेम संबंधों से परेशानी व जुए-सट्टे से लाभ भी हो सकता है।

6-छटम भाव में अंगारक योग होने से कर्जदार, ऋण लेकर उन्नति करने वाला, शत्रुहंता, व्यक्ति खूनी, उग्र परंतु "डा. सर्जन" भी बन सकता है।

7-सप्तम भाव में अंगारक योग होने से दुखी-विवादित वैवाहिक जीवन, नाजायज संबंध, हिंसक जीवन साथी, कामातुर, विधवा या विधुर होना परंतु सांझेदारी में धोका भी मिल सकता है।

8-अष्टम भाव में अंगारक योग होने से  आरोप-अपमान, धन-हानि, घुटनों से नीचे दर्द रहना, चोटें लगना, सड़क दुर्घटनाऐं के प्रबल योग बनते हैं। परंतु पैत्रिक संपती मिलने और लुटाने के प्रवल योग भी बनते हैं।

9-नवम भाव में अंगारक योग होने से उच्च शिक्षा में बाधाऐ, भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी व तंत्रमंत्र में लिप्त, पित्र-श्रापित, संतान से पीडित होते हैं। तथा बहुत ही परेशानियों का सामना करते हैं।

10-दशम भाव में अंगारक योग होने से परंपराओं को तोडने वाले, पित्र संमत्ती से बंचित, माता-पिता की भावनाओं को आहत करने वाले परंतु ऐसे व्यक्ति अति कर्मठ, अधिकारी, मेहनतकश, स्पोर्टमेन व आत्यधिक सफल हो सकते है।

11-एकादश भाव में अंगारक योग होने से, गर्भपात, संतान में विकलांगता, अनैतिक आय, व्यक्ति चोर, धोखेबाज़ होते हैं। पंरंतु प्रापर्टी से लाभ हो सकता है।

12-द्वादश भाव में अंगारक योग होने से अपराधी प्रवृत्ति, वलात्कारी, जबरन हक जमाने वाले और अहंकारी हो सकते हैं। परंतु आयात-निर्यात, विदेशी व्यापार एवं  रिश्वतख़ोरी से लाभ प्राप्त होता है ।